MP में पढ़ाई का पैटर्न बदलने पर मंथन: ऑनलाइन पढ़ाई-एग्जाम पर फोकस, खामियों को खोजने के लिए US तक से आए एक्सपर्ट 

आज के इस आर्टिकल में हम आपको MP Education News Today के बारे में बताने वाले हैं. बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश में पढ़ाई के पैटर्न को बदलने के लिए मंथन चल रहा है. कोरोना के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई और ऑनलाइन एग्जाम हुए हैं. मध्यप्रदेश में ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कई सारे प्रयोग किए गए हैं. लेकिन आपको बताना चाहेंगे कि अब मध्यप्रदेश में आने वाले समय में स्कूल शिक्षा विभाग पढ़ाई का पैटर्न ही बदलने की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को सभी राज्यों के स्कूल एजुकेशन बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही नेपाल, यूएसए, मॉरिशस से भी एजुकेशन एक्सपर्ट पढ़ाई से संबंधित खामियों को लेकर विचार कर रहे हैं. वही आने वाले भविष्य में पढ़ाई का क्या मॉडल रहना चाहिए इस पर भी विचार किया जा रहा है तो आगे हम आपको इस खबर के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से देने वाले हैं. तो आइए जानते हैं कि आने वाले समय में कैसा पढ़ाई का मॉडल हो सकता है.

MP Education News Today

कोरोना काल के समय संपूर्ण देश में ऑनलाइन ही पढ़ाई और एग्जाम संपन्न कराए गए हैं. ऑनलाइन एजुकेशन के दौरान कई सारे प्रयोग किए गए हैं. इतना ही नहीं प्राइवेट स्कूल के बराबर ही सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई को बेहतर से बेहतर बनाने के लिए जोर दिया गया है. टीवी से लेकर यूट्यूब, रेडियो और वीडियो तक हर एक माध्यम से बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करवाई गई है. वही आपको बताना चाहेंगे कि अब आने वाले समय में मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग पढ़ाई का पैटर्न ही बदलने की तरफ कदम बढ़ाया जा रहा है. इसी कड़ी में आगे गुरुवार को सभी राज्यों के स्कूल एजुकेशन बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही नेपाल, यूएसए, मॉरिशस से भी एजुकेशन एक्सपर्ट जुटे हुए हैं और ऑनलाइन पढ़ाई की खामियों पर विचार कर भविष्य के मॉडल को तैयार करने पर चर्चा हुई है.

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MP में पढ़ाई का पैटर्न बदलने पर मंथन

चर्चा के दौरान इस बात पर भी विचार किया गया है कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के अनुसार बोर्ड अपने सिलेबस में किस तरह कोर्स शामिल कर सकते हैं इस पर भी चर्चा की गई है. मध्य प्रदेश राज्य के स्कूलों में पढ़ाई का पैटर्न कैसा होगा इस बारे में स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के डिप्टी डायरेक्टर प्रशांत डोलस द्वारा बातचीत के दौरान बताया गया है कि काउंसिल ऑफ बोर्ड सेकेंडरी एजुकेशन ऑफ इंडिया (कोपसे) सभी बोर्ड का एसोसिएशन है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक साल कॉन्फ्रेंस की जाती है. वही गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में यह पहली बार आयोजित की जा रही है. कांफ्रेंस के दौरान प्रमुख रूप से ऑनलाइन एजुकेशन पर ही फोकस किया गया है. कोरोना के दौरान सभी बोर्ड ने ऑनलाइन एजुकेशन पर ही फोकस किया है.  चर्चा के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कई अच्छी बातें सामने आई है तो कई बुरी बातें भी सामने आई है. भविष्य के लिए ऑनलाइन एजुकेशन एक अच्छा विकल्प है. लेकिन पेन पेंसिल के पढ़ाई के मॉडल को और अधिक बेहतर बनाने की तरफ काम करना होगा.

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ऑनलाइन एजुकेशन की अच्छी बातें

  • बच्चे स्कूल नहीं जाने पर भी ऑनलाइन एजुकेशन की जा सकती है.
  • वीडियो के माध्यम से बहुत सारी चीजें अच्छे से बच्चों को समझाई जा सकती है.
  • एक ही बार में कई सारे बच्चों को पढ़ाया जा सकता है.
  • बच्चों में सीखने की ललक को बनाए रखने में मदद मिली है.

ऑनलाइन एजुकेशन की खामियां

  • बच्चों में ऑनलाइन पढ़ाई से मोबाइल अपने पास ज्यादा रखने की आदत पड़ने लगी.
  • ऑनलाइन क्लास होने के कारण बच्चे प्रैक्टिकल में कमजोर.

मध्यप्रदेश में मॉडल स्कूल का प्रयोग

प्रदेश में मॉडल स्कूल का प्रयोग करने के लिए प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी स्कूल को चुना गया. जिसमें की मेरिट के आधार पर एडमिशन मिलता था. इसके बाद एक्सीलेंस स्कूल बनाए गए जिनमें नौवीं कक्षा में एडमिशन के लिए टेस्ट देना होता था वही 11वीं कक्षा में एडमिशन के लिए मेरिट देखी जाती थी. अब से पढ़ाई के पैटर्न को बदलने पर विचार किया जा रहा है. वहीं मध्य प्रदेश के स्कूलों की हकीकत की बात करें तो शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो हजार से ज्यादा ऐसे सरकारी स्कूल है जहां पर 20000 या इससे भी अधिक बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है वहीं 40000 से ज्यादा बच्चे टीसी लेकर प्राइवेट स्कूल में चले गए हैं. कई स्कूलों के हाल तो ऐसे हैं कि जहां बच्चों से ज्यादा अध्यापकों की संख्या है. 

चाइल्ड बजट पेश करने वाला पहला राज्य

मध्यप्रदेश चाइल्ड बजट की पेशकश करने वाला पहला राज्य है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2022-23 का बजट पेश करने के दौरान कहा था कि बच्चों के शैक्षणिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है इसलिए ही चाइल्ड बजट लाया जा रहा है. जिससे कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकेगी. मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड एवं महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान 17 से 19 नवंबर तक काउंसिल ऑफ बोर्डस ऑफ स्कूल एजुकेशन की तीन दिवसीय 51वीं वार्षिक कॉन्फ्रेन्स आयोजित कर रहा है जिसमें नेपाल, यूएसए, मॉरिशस आदि देशों सहित भारत के 32 राज्य शिक्षा बोर्ड के लगभग 70 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए हैं.

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