रीवा में प्रश्न बैंक को लेकर हुआ हंगामा | Question Bank wastage in Rewa excellence school

रीवा 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सिर्फ 8 दिन बचे हैं। इन चंद दिनों के पहले लाखों रुपए के प्रश्नबैंक छपवाए गए। छात्रों ने स्कूल आना बंद कर दिया है। ऐसे में इन लाखों रुपए के प्रश्न बैंक बांटने के लिए प्राचार्यों को उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें भी सिर्फ हिंदी में छपकर प्रश्न बैंक पहुंचे। अंग्रेजी छात्रों के लिए आए ही नहीं प्राचार्य इंतजार ही करते रह गए।

रीवा में प्रश्न बैंक को लेकर हुआ हंगामा | Question Bank wastage in Rewa excellence school

स्कूल शिक्षा विभाग में अनियमितता की जितनी बातें की जाएं, उतनी कम है। कई घोटाले और फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। इसके बाद भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। अब ताजा मामला 9 वीं से लेकर 12 वीं तक के छात्रों को वितरित होने वाले प्रश्न बैंक का है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी छात्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए प्रश्न बैंक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इनकी छपाई स्थानीय स्तर पर टेंडर निकाल कर की जानी थी हालांकि इसमें भी अनियमितता बरती गई सूत्रों की मानें तो पहले यह काम जबलपुर की एक फर्म को दिया गया था। फिर इसमें बदलाव कर रीवा की ही एक एजेंसी को प्रश्न बैंक छापने का जिम्मा दे दिया गया। हद तो यह है कि बोर्ड परीक्षाएं 17 और 18 फरवरी से शुरू हो रही है। इसमें सिर्फ 8 दिन ही बचे हैं। इसके पहले छात्रों को प्रश्न बैंक वितरित करने की तैयारियां समझ से परे हैं।

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न्यूनतम 30 और अधिकतम 94 पेज का प्रश्नबैंक छपाया गया

सूत्रों की मानें तो पूरे जिले के छात्रों के लिए यह प्रश्न बैंक छपवाए गए हैं। इसमें लाखों रुपए खर्च किया गया है। एक प्रश्न बैंक कम से कम 30 और अधिकतम 94 पेज का है। इससे ही इसकी कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है। मंगलवार से एक्सीलेंस स्कूल क्रमांक एक में प्रश्न बैंक के वितरण की शुरुआत की गई।

Question Bank wastage in Rewa excellence school
Question Bank wastage in Rewa excellence school
  • प्राचार्य एक्सीलेंस स्कूल में करते रहे इंतजार, अंग्रेजी में छपकर ही नहीं आए मॉडल प्रश्नबैंक
  • एक्सीलेंस स्कूल में हाई और हायर सेकेण्डरी प्राचार्यों को किया गया वितरण
  • करीब 70 लाख रुपए की प्रिंटिंग स्थानीय स्तर पर कराई गई

अंग्रेजी भाषा में नहीं छपे प्रश्न बैंक

एक्सीलेंस स्कूल क्रमांक एक में जब प्राचार्यों को बुला लिया गया था तो प्राचार्य को हिंदी में प्रश्न बैंक तो उपलब्ध करा दिए गए लेकिन अंग्रेजी के छात्रों को नहीं मिले। अंग्रेजी मीडियम के छात्रों के लिए प्रश्न बैंक छप कर आए ही नहीं इस लापरवाही के कारण छात्रों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अंग्रेजी मीडियम के छात्र भी रीवा में कम नहीं है। मार्तण्ड स्कूल क्रमांक एक में ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले छात्र है। इसके अलावा कई तहसीलों में भी मॉडल स्कूलों का संचालन हो रहा है। इन सभी छात्रों को अंग्रेजी माध्यम के प्रश्न बैंक नहीं मिल पाए। प्राचार्यों को निराश होकर लौटना पड़ा।

छात्र ही नहीं आ रहे स्कूल

हद तो यह है कि परीक्षा बजदीक आ चुकी है। छात्रों को प्रवेश पत्र भी मिल चुका है। ऐसे में छात्र अब स्कूल पहुंच ही नहीं रहे हैं। इतनी देरी से प्रश्नक का विवरण कई सवाल खड़े कर रहा है। भारी भरकम राशि चुका कर इतने व्यापक स्तर पर प्रश्न बैंक रुपया लेकिन अब वह छात्रों तक पहुंच ही नहीं पाएगा। एएत्रों ने घर पर ही रहकर तैयारियां शुरू कर दी है। उन्हें शासन के लाखों रुपए का खर्च किए जाने का लाभ नहीं मिल परणा।

कचरे में फेंका जाएगा प्रश्न बैंक

छात्रों को परीक्षा में लाभ मिले और उन्हें प्रश्न बैंक के माध्यम से तैयारी करने में मदद मिले। इसके लिए लाखों रुपए के प्रश्न बैंक रीवा में पाए गए इन प्रश्न बैंकों से छात्र को परीक्षा की तैयारी में फायदा मिलता। परीक्षा में किस तरह के प्रश्न आएंगी, यह भारी जानकारी पश्न बैंक में दी गई है। यह तैयारी को आसान बनाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग की कोशिश की। शिवकों के विशेषज्ञों ने इस प्रश्न बैंक को तैयार किया है, लेकिन अब यह सब स्कूल में ही पड़े रह जाएंगे और कचरे में फेंके जाएंगे।

महत्वपूर्ण जानकारियाँ —

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