एमपी बोर्ड परीक्षा 2021 कक्षा 12 सामान्य हिंदी पद्य के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर–
मीरा के पद एवं बंदना
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गजमुख का मुख कौन देखता है?
उत्तर- गणेश जी का मुख 10 मुख अर्थात रावण भी देखता है।
प्रश्न 2. मां सरस्वती की वंदना कौन कौन करता है?
उत्तर- मां सरस्वती की वंदना सारा संसार, देवता गढ़ , सिद्ध पुरुष, ऋषि गढ़, साधु, ब्रह्मा, महादेव इत्यादि करते हैं।
प्रश्न 3. मीरा को हरि से मिलने में क्या कठिनाइयां हैं?
उत्तर- हरि की ओर जाने वाला रास्ता बंद है, रास्ता रपटीला है, पैर स्थिर हो उठते हैं । प्रियतम का घर दूर है। रास्ते में पहरेदार भी हैं।
प्रश्न 4: मीरा के अनुसार देह का गर्व क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर – क्योंकि मानव शरीर अंत में मिट्टी में मिल जाने वाला है अतः इस नश्वर शरीर का गर्भ नहीं करना चाहिए।
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प्रश्न 5 मीराबाई कैसा वेश रखना चाहती है?
उत्तर – मीराबाई वेश धारण करना चाहती है जिस वेश पर भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हो जाए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न नंबर 1. ‘कठिन क्रूर अक्रूर आयो’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- अक्रूर श्री कृष्ण को ब्रज से मथुरा कंस वध के लिए लेकर गए थे। मीराबाई ने अक्रूर को निर्दय एवं कठोर इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें मालूम था कि श्री कृष्ण को चाहने वाले एवं प्रेम करने वाले गोपिका ओं की ब्रज में कोई कमी नहीं है फिर भी उनकी भावनाओं एवं प्रेम की उन्होंने कद्र नहीं की। गुपचुप तरीके से कृष्ण को ले जाने की प्रक्रिया भी गोपियों को ठीक नहीं लगी, अतः गोपीकाओं ने अक्रूर को भरा बुला कहा।
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प्रश्न नंबर 2- भगवान गणेश अपने भक्तों की विपत्तियों को कैसे दूर करते हैं?
उत्तर – जिस प्रकार हाथी का बच्चा कमलनाल को तोड़ डालता है, वैसे ही गणेश जी अकाल से बड़े-बड़े और भयानक दुखों को तोड डालते हैं। वे विपत्ति को हट करके पूरइन के पत्ते के समान खींचकर तोड़ देते हैं और पाप को कीचड़ के समान दबाकर पाताल को भेज देते हैं। वह अपने दास की सदैव रक्षा करते हैं।
प्रश्न नंबर 3 – मीरा अपने मन को ईश्वर के चरण कमलों में ही क्यों लीन रखना चाहती है?
उत्तर- मीराबाई के अनुसार धरती और आकाश के मध्य जितना कुछ भी है वह सब नश्वर है। अनश्वर व सारवान सिर्फ आराध्य कृष्ण है। मनुष्य का शरीर भी नश्वर है। इसे एक न एक दिन मिट्टी में मिलना है। चहर की बाजी के समान जीवन लीला का समाप्त होना सुनिश्चित है। संसार में प्रचलित मुक्ति के मार्ग तीर्थ व्रत काशी निवास सब व्यर्थ एवं झूठे हैं। मीराबाई इन्हीं सब कारणों से व जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर के चरण कमलों में अपने को लीन रखना चाहती है।
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