अमेरिका के स्कूल में एशियाई छात्रों की संख्या बढ़ी – बड़ी खबर

एशियाई छात्रों की एक बड़ी संख्या पढ़ती है अमेरिका के टाॅप स्कूल में। इस स्कूल में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा ली जाती है और इसी परीक्षा में सफल होने वाले एशियाई इस स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन वहां अब आलोचकों ने एशिया के छात्रों पर डर पैदा कर दिया है, वह चाहते हैं कि अब उस स्कूल में प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश न दिया जाए इसी कारण एशियाई छात्र – छात्राओं को लगता है कि अब उन्हें उनके टेलेंट पर ए्रडमिशन नहीं दिया जाएगा। एशियाई छात्र – छात्राओं की निरंरत बढ़ती संख्या के कारण वह ऐसा कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि लैटिन और अश्वेत छात्रों की संख्या बढ़े लेकिन अब तक स्कूल के विद्यार्थियों की संख्या का लगभग 61 प्रतिशत संख्या ऐशियाई छात्र – छात्राओं की है।

अमेरिका के स्कूल में एशियाई छात्रों की संख्या बढ़ी | Asian Students increase in American School

बांग्लादेशी प्रवासियों की 17 वर्षीय बेटी तौसीफा हक अमेरिका के ब्रोंक्स में परिवार के साथ रहती है। वह रोज सुबह मेट्रो पकड़कर डेढ़ घंटे की यात्रा के लिए ब्रुकलिन टेक्निकल हाईस्कूल में पढ़ने जाती है। ब्रुकलिन तक पहुंचते-पहुंचते उसके साथ दोस्तों समेत छात्रों का सैलाब सा उमड़ पड़ता है। इस हाई स्कूल में बंगाली और तिब्बती, मिस्र और चीनी, सिंहली, रूसी, डोमिनिकन और प्यूटों रिकन, भारतीय और अफ्रीकी नागरिकों के बच्चे पढ़ते हैं।

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एशिया की इतनी बड़ी तादाद पढ़ती है अमेरिका की टॉप स्कूल में

कुल मिलाकर 8 मंजिला इमारत में 5,850 छात्र हैं, जो अमेरिका के सबसे बड़े और अकादमिक रूप से कठोर सख्त स्कूलों में एक है। यहां पढ़ने का सपना तौसीफा समेत मध्यम और निम्न आय वर्ग के हर छात्र-छात्रों का होता है। लेकिन ब्रुकलिन टेक जैसे बड़े स्कूलों में गैर अमेरिकियों और अश्वेतों की बढ़ती संख्या से आलोचक सवाल उठाने लगे हैं। वह दबाव डाल रहे हैं कि स्टुयवेसेंट, ब्रुकलिन टेक जैसे तमाम बड़े स्कूलों में प्रवेश परीक्षा बंद कर दी जाए, ताकि उन्हें मौका मिले, जो प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर सकते हैं।

Asian Students increase in American School
Asian Students increase in American School

अमेरिकाः स्कूलों में प्रवेश परीक्षा रोकने का दबाव, इससे एशियाई छात्रों में डर क्योंकि एडमिशन टैलेंट से नहीं होंगे

आलोचक चाहते हैं औसत छात्र को भी मिले प्रवेश

आलोचकों का तर्क है कि बाहरी टैलेंटेड छात्रों के साथ अगर औसत छात्र पढ़ेंगे तो वह भी पढ़ाई में अच्छा कर सकेंगे। वैसे भी ब्रुकलिन टेक जैसे स्कूलों में एशियाई मूल के बच्चों की संख्या 61% तक पहुंच चुकी है। वहीं एलीट क्लास के बच्चों की संख्या 20% से भी कम है। इससे एलीट वर्ग के छात्र को अलग-थलग पढ़ने का अंदेशा रहता है। आलोचकों की इस मंशा से एशियाई छात्रों में डर बैठ गया है। उनका मानना है कि प्रवेश परीक्षा बंद हुई तो प्रतिभावान छात्रों को परेशानी होगी।

लैटिन, अश्वेत छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए डाला जा रहा है दबाव

प्रवेश परीक्षा की बहस न्यूयॉर्क के चुनिंदा हाई स्कूलों से बहुत आगे तक पहुंच चुकी है। सैन फ्रांसिस्को बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने योग्यता-आधारित प्रवेश नीति तक को छोड़ दिया है। उसने लोवेल हाई स्कूल में लॉटरी प्रणाली को पुनः लागू करने का फैसला किया है। इस स्कूल में 55% छात्र एशियाई मूल के थे। फेयरफैक्स काउंटी, वीए के अधिकारियों ने थॉमस जेफरसन हाई स्कूल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में ग्रेड और सामाजिक आर्थिक मानदंडों के संयोजन के साथ प्रवेश परीक्षा बदल दी है। इससे अगले सत्र से एशियाइयों के मुकाबले अश्वे, लैटिन छात्रों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

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