आज के इस आर्टिकल में हम आपको यहां पर Amavasya November 2022 के बारे में बताने वाले हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एकादशी और पूर्णिमा के अलावा अमावस्या को भी किसी भी भगवान विष्णु को समर्पित हैं जैसे पवित्र तिथि माना जाता है. मार्गशीर्ष जाने वाली इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Amavasya Kab Hai? यहां पर हम आपको आने वाली अमावस्या के बारे में बताने वाले हैं. आपको बताना चाहेंगे कि हर महीने अमावस्या को स्नान, दान, तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है. तो आइए जानते हैं कि इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या कब है आइए जानते हैं अगहन अमावस्या की डेट, स्नान का मुहूर्त और महत्व क्या है? अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ते रहिए ताकि कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी आप से ना छूटे.
Amavasya November 2022
बहुत सारे लोग मार्गशीर्ष अमावस्या के बारे में जानना चाहते हैं तो ऐसे सभी लोग जो इस अमावस्या के बारे में जानना चाहते हैं उनको बताना चाहेंगे कि हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या मानी जाती है इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर 2022, बुधवार को है. अमावस्या के शुभ मुहूर्त की बात करें तो मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 23 नवंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन 24 नवंबर 2022 को प्रात: 04 बजकर 26 मिनट पर होगा. यानी कि देखा जाए तो अमावस्या लगभग 22 घंटों की रहने वाली है. तो अब आगे आइए जानते हैं कि अमावस्या के दिन आप कब स्नान दान आदि जैसे कर्म कर सकते हैं जिससे कि आपको बहुत अच्छा पुण्य मिलेगा.
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Margashirsha Amavasya 2022 Date
बताना चाहेंगे कि मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या भी कहते हैं. अमावस्या माता लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय होती है. क्या महीना माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय होता है इसी वजह से इस महीने में माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत करने से पापों का नाश होता है. स्नान दान मुहूर्त की बात करें तो यह मुहूर्त सुबह 05.06 – सुबह 06.52 तक रहने वाला है वहीं अन्य मुहूर्त इस प्रकार है: (Margsheersha Amavasya Shubh Muhurt)
अभिजीत मुहूर्त- शाम 05 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 49 मिनट तक
अमृत काल- दोपहर -1 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्ध योग- रात 09 बजकर 37 मिनट से लेकर 24 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट तक
Margashirsha Amavasya significance
धर्म शास्त्रों की मानें तो भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को मार्गशीर्ष मास ही बताया है. पित्र दोष से मुक्ति पाने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है और इस अमावस्या को विशेष माना भी गया है. ऐसे सभी लोग जो अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिए कुछ करना चाहते है उन्हें इस माह की अमावस्या को व्रत रखकर, श्राद्ध कर्म करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. जिससे कि साधक के जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है. पित्र दोष से मुक्ति पाने के लिए आप इस दिन गरीब लोगों को अन्न धन एवं अन्य दान की वस्तुएं दान कर सकते हैं. इस अमावस्या का व्रत करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं. इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप मिट जाते हैं.
Margashirsha Amavasya Vrat Benefit
धर्म ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या से ही सतयुग का आरंभ हुआ था. इस महीने की कुछ विशेषताओं पर व्रत करने पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है यदि आप भी भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त हैं तो आपको इस महीने के दौरान कोई ना कोई व्रत अवश्य करना चाहिए. इन सभी मैं से मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत महत्वपूर्ण व्रत है. विष्णु पुराण की माने तो मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत से ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पक्षी, पशु और दुष्टों सहित सभी देवी-देवता, पूर्वजों को प्रसन्न किया जा सकता है. आपको बताना चाहेंगे कि यह अमावस्या दर्श अमावस्या होगी इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से भी हटके काम सिद्ध हो जाएंगे.
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