mp board class 12 physics imp question 2022 pdf download | (कक्षा 12 physics Chapter 1 विद्युत आवेश तथा क्षेत्र सभी महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

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mp board class 12 physics imp question 2022 pdf notes
mp board class 12 physics imp question 2022 pdf notes

प्यारे छात्रों आज की इस पोस्ट में आपके लिए कक्षा बारहवीं के छात्रों के लिए चाहे वह यूपी बोर्ड से हो या फिर एमपी बोर्ड से या फिर राजस्थान बोर्ड से हो,  जो छात्र बोर्ड परीक्षा 2022 की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे छात्रों के लिए यहां पर कक्षा 12 भौतिक विज्ञान के पाठ 1 वैधुत आवेश तथा क्षेत्र नामक पाठ के सभी महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जो कि बोर्ड परीक्षा में 5-5 नंबर की पूछे जाते हैं, उन सभी प्रश्नों को उनके सॉल्यूशन के साथ बताया गया है। आपसे उम्मीद करते हैं की बोर्ड परीक्षा में जाने से पहले आप इन सभी प्रश्नों को एक बार रिवाइज करके जरूर जाओगे। यह सभी प्रश्न बोर्ड परीक्षा 2022 में आपके भौतिक विज्ञान के पेपर में मददगार साबित होंगे। board exam 2022 Class 12 physics imp questions आपको नीचे मिल जायेंगे।

 

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         दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( विधुत आवेश तथा क्षेत्र )

1 प्रश्न: दो बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाले आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल के लिए कूलाम के नियम को स्पष्ट कीजिए?

     
कूलाम का नियम=  कूलाम के नियम अनुसार दो बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों के परिणामों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा दोनों आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है, इस बल की दिशा दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में होती है।
  • माना दो बिंदु आवेश q₁, q₂एक दूसरे से r दूरी पर स्थित है तो इनके मध्य लगने वाला वैद्युत (आकर्षण व प्रतिकर्षण) बल
             f α q₁q₂   तथा    f α 1/r² 
 
            अथवा   f α q₁q₂/r²
 
            अथवा  f = k q₁q₂/r²
 
 जहां K अनुक्रमानुपाती नियतांक है। k का मान आवेशों के माध्यम पर तथा आवेश दूरी व बल के मात्रकों पर निर्भर करता है। यदि दोनों आवेश निर्वात अथवा वायु में स्थित हो तो प्रयोग द्वारा के का मान 9.0×10⁹ न्यूटन⁻मीटर²/ कुलाम² प्राप्त होता है अतः वायु अथवा निर्वात में स्थित दो बिंदु आवेशों के के बीच लगने वाला बल
                F=(9.0×10⁹) q₁q₂/r²  न्यूटन
यदि बिंदु आवेश निर्वात अथवा वायु में स्थित हो तो k को 1/4πεₒ लिखा जाता है-
            अतः F= 1/4πεₒ .q₁q₂/r²  न्यूटन
जहां 1/4πεₒ अनुक्रमानुपाती नियतांक है। εₒ को निर्वात की विद्युतशीलता कहते हैं।
εₒ का मान 8.85×10⁻¹² कुलाम² / (न्यूटन -मीटर²) होता है।
यदि निर्वात अथवा वायु के स्थान पर दोनों आवेशों के मध्य कोई कुचालक पदार्थ जैसे तेल, कांच, मोम, आदि में रखे हो तो उनके मध्य लगने वाला बल
        F =1/4πεₒ • q₁q₂/r²   न्यूटन    →(1)
जहां k एक विमाहीन नियतांक है जिसे उस पदार्थ का परावैद्युतांक कहते हैं तथा कुचालक पदार्थ को परावैद्युत कहते हैं।
परावैद्युतांक के संबंध में निम्न तथा ध्यान रखने योग्य हैं
 (1) सभी परावैद्युत के लिए k>1 होता है।
 (2) दातों के लिए k=∞ होता है।
 (3 )निवति के लिए  k= 1 होता है।
 (4) वायु के लिए k= 1.00059 होता है जिसे 1 ही मान लिखा जाता है सभी 1 के सूत्र में εₒk के स्थान पर ε भी लिख सकते हैं अर्थात ε=εₒk /ε को उस परावैद्युत माध्यम की निरपेक्ष विद्युतशीलता कहते हैं।
अंतः    F = 1/4πεₒ • q₁q₂/r²  न्यूटन
  

2 प्रश्न (i) वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता से क्या तात्पर्य है? अथवा

          (ii) वैद्युत क्षेत्र से क्या तात्पर्य है?
 
उत्तरवैद्युत क्षेत्र-  किसी विद्युत आवेश अथवा आवेश समुदाय के चारों ओर स्थित वह क्षेत्र जिसमें कोई आवेश आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता है उस आवेश अथवा आवेश समुदाय का विद्युत क्षेत्र अथवा विद्युत बल क्षेत्र कहलाता है।
 
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता–  वैद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर रखें परीक्षण आवेश पर लगने वाले वैद्युत बल तथा परीक्षण आवेश के अनुपात को उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं। यह सदिश राशि है। इसकी दिशा वैद्युत क्षेत्र में रखे परीक्षण धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा की ओर होती है। यदि परीक्षण आवेश ऋण आवेश हो तो इसकी दिशा ऋण आवेश पर लगने वाले बल की दिशा के विपरीत होगी। वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक न्यूटन कूलाम है ।
माना वैद्युत क्षेत्र मैं किसी बिंदु पर रखें परीक्षण आवेश qₒ पर लगने वाला बल F, तो उस बिंदु पर 
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
                E= F/qₒ न्यूटन / कूलाम अथवा बोल्ट मीटर
                E=F/qₒ
                E=ma/it     (f=ma, qₒ=it)
 
अतः वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता की विमा=[M] [LT⁻²] / [A][T]
                                               =  [MLT⁻³  A⁻¹]
 
S.i पद्धति में विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक किग्रा – मीटर – सेकंड⁻³ एंपियर⁻¹ है
 

प्रश्न 3. विद्युत बल रेखाओं से क्या तात्पर्य है? इनके गुण भी लिखिए।

उत्तर:  विद्युत बल रेखाएं-  वैद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक एवं निष्कोंण वक्र जिस पर एक स्वतंत्र एवं प्रथक्कृत धन आवेश चलने को प्रेरित होता है। वैद्युत बल रेखा कहलाती है। वैद्युत बल रेखा किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
 
        a                  b                       c
 
 
चित्र a तथा b में धनावेश तथा ऋणावेश वाले गोलो से उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र में बल रेखाएं खींची गई है। इन से स्पष्ट है कि आवेशित गोलों के लिए बल रेखाएं सीधी और त्रिज्य होती है, तथा गोलो के केंद्र से निकलती हुई अथवा केंद्र पर मिलती हुई प्रतीत होती है। चित्र  C मैं परस्पर निकट स्थित दो बराबर तथा विपरीत आवेशों से उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में बल रेखाएं खींची गई है, यह बल रेखाएं धन आवेश से चलकर ऋण आवेश पर समाप्त होती हैं।

विद्युत बल रेखाओं के गुण

(1) वैद्युत बल रेखा धन आवेश से प्रारंभ होकर ऋण आवेश पर समाप्त हो जाती है।
(2) विद्युत बल रेखाओं के किसी भी बिंदु खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा तथा उस बिंदु पर धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित करती है।
(3) कोई भी दो बल रेखाएं आपस में नहीं काट सकती। क्योंकि इस स्थिति में कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खींची जाएंगी जो इस बिंदु पर बल की दो दिशाएं प्रदर्शित करेगी जो कि असंभव है।
(4) विद्युत बल रेखाएं बंद तथा खुले दोनों प्रकार के वक्रों के रूप में होती है।
(5) समान दूरी पर स्थित समांतर बल रेखाएं एक समान विद्युत क्षेत्र को प्रकट करती हैं जबकि असमांतर बल रेखाएं  असमान वैद्युत क्षेत्र को प्रकट करती हैं।
 

कक्षा 12 भौतिक विज्ञान पाठ 1 विद्युत आवेश तथा क्षेत्र के सभी लघु उत्तरीय प्रश्न के लिए यहां पर क्लिक करें बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए

4 प्रश्न. किसी बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक ज्ञात कीजिए?

उत्तर:   

 

बिन्दु आवेश के कारण विद्युत् क्षेत्र_12th Class Physics Notes

 

माना कोई +q बिंदु आवेश +qₒ ,  K परावैद्युतांक वाले मध्यम में O बिंदु पर स्थित है, इस बिंदु आवेश के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में बिंदु o से r दूरी पर कोई बिंदु p है जहां पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
माना बिंदु पर p परीक्षण आवेश +qₒ स्थित है, कूलाम के नियम से बिंदु आवेश +q के कारण परीक्षण आवेश +qₒपर लगने वाला बल
              f=1/4πεₒk × qqₒ/r²  न्यूटन
अतः  सूत्र E=f/qₒ से बिंदु p पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
       E=1/4πεₒk × qqₒ/r² x 1/qₒ  न्यूटन/ कुलांम
        निर्वात अथवा वायु के लिए परावैद्युतांक k=1 
      अतः  E= 1/4πεₒk × q/r²  न्यूटन/ कुलाम
 
वैद्युत क्षेत्र E की दिशा, बिंदु +q आवेश से परीक्षण आवेश qₒ को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होगी। बिंदु आवेश q के धनात्मक होने पर वैद्युत क्षेत्र की दिशा q से qₒ की ओर अर्थात OP दिशा में तथा बिंदु q के ऋणात्मक होने पर वैद्युत क्षेत्र की दिशा qₒ से q की ओर अर्थात po दिशा में होगी।
 
आवेशों के निकाय के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता- यदि माध्यम में कई बिंदु आवेश  q₁,q₂,q₃,……  यदि स्थित हो तो उस माध्यम के किसी बिंदु पर सभी आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E, उन आवेशों के कारण अलग अलग तीव्रताओ  E₁,E₂,E₃,……. के सदिश योग के बराबर होती है।
अर्थात E= E₁+E₂+E₃+……….

5 प्रश्न: वैद्युत द्विध्रुव से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण दीजिए। अथवा   वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: वैद्युत द्विध्रुव-  ऐसा निकाय जिसमेंं दो बराबर, परंतु  विपरीत प्रकार के बिंद  आवेश +q तथा -q एक दूसरे से अल्प दूरी 2L पर स्थित हो, वैैैद्युत द्विध्रुुव कहलाता है। 
 
वैद्युुुुुत द्विध्रुव के उदाहरण:  HCL, H₂0, HBr,Kl,NH₃,CH₄,
CO2 आदि के अणु ।
 
HCLके अणु में एक सिरे पर धनावेशित हाइड्रोजन आयन (H+) तथा दूसरे सिरे पर ऋणावेशित क्लोरीन आयन (Cl‐) होता है। इसके बीच की दूरी 0.1A°=10⁻¹¹ मीटर होती है।

वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण– 

वैद्युत द्विध्रुव की रचना करने वाले दोनों बिंदु आदेशों में से किसी एक आवेश के परिणाम तथा दोनों आवेश के बीच की दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कहते हैं  इसे से P प्रदर्शित करते हैं।
माना दो आवेश +q एक दूसरे से अल्प दूरी 2l पर स्थित है तो वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण
                            P = q×2l
                                = 2ql
स्पष्ट है कि वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण एक सदिश राशि है। इसकी दिशा वैद्युत द्विध्रुव की अक्ष के अनुदिश ऋण आवेश से धन आवेश की ओर होती है। इसका मात्रक कूलाम- मीटर है। तथा विमा [LTA]  है। S.I. पद्धति में इसका मात्रक मीटर सेकंड एंपियर है।
 

प्रश्न 7. किसी एक समान तीव्रता वाले वैद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बल युग्म के आघूर्ण का सूत्र प्राप्त करें।                                 (अथवा)

 एक समान विद्युत क्षेत्र में स्थित वैद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले महत्तम बल आघूर्ण का सूत्र प्राप्त कीजिए, इसके आधार पर वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:  एक समान विद्युत क्षेत्र में स्थित विद्युत द्विध्रुव पर बलयुग्म-  यदि किसी वैद्युत द्विध्रुव को एक समान विद्युत क्षेत्र E में रखा  जाता है, तो वैद्युत द्विध्रुव पर बल युग्म कार्य करने लगता है जो वैद्युत द्विध्रुव को वैद्युत क्षेत्र की दिशा में लाने का प्रयत्न करता है, इस बलयुग्म को प्रत्यानयन बलयुग्म कहतेे हैं।
माना  AB एक विद्युत द्विध्रुव E में क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाते हुए रखा है माना वैद्युत द्विध्रुव के A सिरे पर +q आवेश तथा B सिरे पर -q आवेश एक दूसरे से 2l दूरी पर स्थित है, वैद्युत क्षेत्र E के कारण +q आवेश पर एक बल F=(qE) क्षेत्र की विपरीत दिशा में लगता है क्योंकि ये दोनों बल F.F दूसरे के बराबर विपरीत तथा समांतर हैं अतः ये बलयुग्म बनाते हैं जो वैद्युत द्विध्रुव को घुमाकर वैद्युत क्षेत्र E   की दिशा में लाने का प्रयत्न करता है। इसे τ से प्रदर्शित करते हैं।
अतः इस प्रत्यानयन बलयुग्म आघूर्ण
τ = एक बल का परिणाम x दोनों बल की क्रिया- रेखाओं के बीच की लंबवत दूरी 
                            अथवा
                          τ= F×AC
                          τ=F× (2lsinθ)
[∆ABC से sinθ =AC/AB  अथवा   AC= 2lsinθ]
                           =  qE×(2lsinθ)
                           = 2qlEsinθ
              अतः τ= pEsinθ न्यूटन-मीटर
            [जहाँ p= 2ql वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण]
              सदिश रूप में τ = p×E
 

प्रश्न 8. वैद्युत फ्लक्स किसे कहते हैं? किसी पृष्ठ से गुजरने वाले वैद्युत फ्लक्स के लिए व्यापक सूत्र प्राप्त कीजिए।  वैद्युत फ्लक्स कब धनात्मक तथा कब ऋणात्मक होता है? वैद्युत फ्लक्स का एस आई मात्रक लिखिए।

उत्तर. वैद्युत फ्लक्स- वैद्युत क्षेत्र को वैद्युत बल रेखाओं द्वारा निरूपित किया जाता है, किसी वैद्युत क्षेत्र में खींचे गए किसी काल्पनिक पृष्ठ से गुजरने वाली विद्युत बल रेखाओं की संख्या उस पृष्ठ से बद्ध अथवा उस पृष्ठ से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स कहलाता है। इसे से φE प्रदर्शित करते हैं। यह अदिश राशि है।
 
                     

माना कोई पृष्ठ क्षेत्रफल A, किसी असमान वैद्युत क्षेत्र E के भीतर स्थित है, माना इस पृष्ठ पर कोई अल्पास क्षेत्रफल अवयव है dA जो कि सदिश रूप में क्षेत्रफल वेक्टर dA द्वारा निरूपित है, जिसकी दिशा इस क्षेत्रफल अवयव पर बाहर की ओर खींचे गए अभिलंब की दिशा के अनुदिश है।
माना क्षेत्रफल अवयव dA इतना छोटा है कि इस पर वैद्युत क्षेत्र E को एक समान माना जा सकता है। माना इस क्षेत्रफल अवयव dA पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है, तब स्केलर गुणन E.dA क्षेत्रफल अवयव dA मैं से गुजरने वाले विद्युत फ्लक्स को निरूपित करता है
अतः संपूर्ण क्षेत्रफल से जाने वाला वैद्युत फ्लक्स 

    

 

यदि किसी विद्युत क्षेत्र में कोई बंद पृष्ठ स्थित है तो इस पृष्ठ से होकर जाने वाले वैद्युत फ्लक्स 

 

 

द्वारा प्राप्त होता है।
 
विद्युत फ्लक्स का S.I मात्रक एवं विमाय सूत्र: 
               सूत्र φE=E.A से 
वैद्युत फ्लक्स का मात्रक = E का मात्रक× A का मात्रक
               न्यूटन/कूलाम × मीटर²
               न्यूटन- मीटर²/कूलाम
   तथा 
  वैद्युत फ्लक्स की विमा= E की विमा × A की विमा
                                =    [MLT⁻²]/[AT]×[L²]
                                =  [ML⁻³T⁻³A⁻¹]
 
M.K.S पद्धति में विद्युत फ्लक्स का मात्रक किग्रा मीटर³ सेकंड⁻³ एंपियर⁻¹ है।
 

प्रश्न 10. स्थिर वैद्युतकी मैं गौस की प्रमेय का उल्लेख कीजिए।  तथा इसे सिद्ध कीजिए। 

                      अथवा 

सिद्ध कीजिए किसी बंद पृष्ठ से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स φE उस पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश q का1/εₒ गुना होता है जहां εₒ मुक्त आवेश की विद्युतशीलता है।

 
उत्तर. गौस का प्रमेय–  इस  प्रमेय  के अनुसार किसी बंद पृष्ठ A से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स φE उस पृष्ठ  द्वारा परिबद्ध कुल आवेश का (1/εₒ) गुना होता है
वैद्युत फ्लक्स= φE= q × (1/εₒ) =q/εₒ
परंतु बंद पृष्ठ A से कुल वैद्युत फ्लक्स

 

 

 
जहां εₒ निर्वात अथवा वायु की विद्युतशीलता है यही गौस प्रमेय का समाकलन रूप है।

                     

 

उत्पत्ति :  माना कोई बिंदु आवेश +q किसी बंद पृष्ठ A के भीतर किसी बिंदु O पर स्थित है। माना पृष्ठ A पर कोई बिंदु p है जिसकी बिंदु o से दूरी r है। माना पृष्ठ A पर बिंदु p के चारों ओर एक अल्पांश छेत्रफल dA है जिसके संगत क्षेत्रफल वेक्टर dA है, जिसकी दिशा बिंदु p पर अल्पांश क्षेत्रफल dA के बाहर की ओर खींचे गए अविलंब के  अनुदिश है।

 

 

माना बिंदु पर रखे बिंदु आवेश +q के कारण बिंदु p पर विद्युत क्षेत्र E है जिसका परिणाम

 

 

E=1/4πεₒ × q/r² →(i)
 

 

 

जिसकी दिशा त्रिज्य रेखा OP के अनुदिश है।
यदि विद्युत वेक्टर तथा क्षेत्रफल वेक्टर के बीच कोण θ है तो अल्पांश क्षेत्रफल से गुजरने वाला बाहर की ओर दिष्ट वैद्युत फ्लक्स

 

 

dφE= E.dA =EdAcosθ 
 
समीकरण 1 से E का मान रखने पर
 
dφE =  q/4πεₒr² ×dAcosθ
          =  q/4πεₒ× dAcosθ/r²
       परंतु  dAcosθ/r²   =dw    ……….(2)
जहां dw अल्पांश क्षेत्रफल dA द्वारा बिंदु पर अंतरित घन कोण है।
तब समीकरण 2 से
dφE = q/4πεₒ×dw
अतः बिंदु आवेश q के कारण संपूर्ण पृष्ठ A से बाहर की ओर निकलने वाला

 

 

 परंतु dw संपूर्ण बंद पृष्ठ  क्षेत्रफल A द्वारा बिंदु O पर अंतरित कुल धन कोण है
                                  अर्थात       dw =4π
 

 

                             अतः φE =q/εₒ  यही गौस का प्रमेय है।                                         
 
 
 

 

 

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